चलते चलते दुनिया की राहो में
कितने दोस्त मिलते है
कुश याद बन कर रह जाते है गुजरे ज़माने की
कुश साथ साथ चलते है
पहेली सी है जिन्दगी सब के लिए
बस ऐसे कोई गुजार रहा है इसको
वैसे ही यह गुजरती है
भूल कर भी भगवन को भूलता नहीं हुए कभी
क्योकि मेरे से ज यदा फिकर उसको है
कितने दोस्त मिलते है
कुश याद बन कर रह जाते है गुजरे ज़माने की
कुश साथ साथ चलते है
पहेली सी है जिन्दगी सब के लिए
बस ऐसे कोई गुजार रहा है इसको
वैसे ही यह गुजरती है
भूल कर भी भगवन को भूलता नहीं हुए कभी
क्योकि मेरे से ज यदा फिकर उसको है
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